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Showing posts from June, 2020

Janmashtami :Lord Krishna

ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सुक्त 1मंत्र 9 में लिखा है की पुर्ण परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेता वो अवतरित होते हैं और उनकी परवरिश कुँवारी गायों के दूध से होती है | लेकिन जैसा की हमें पता कृष्ण जी ने देवकी माँ के गर्भ से जन्म लिया तथा उनकी परवरिश गायों के दूध से हुई | और दुसरी तरफ कबीर साहेब जी ही लहरतारा तालाब पर अवतरित हुए और उन्हें वहां से निसंतान दम्पति उठा कर ले गए और उनकी परवरिश कुँवारी गाय के दूध से हुई तो यह सिद्ध होता है कि पूर्ण  परमात्मा कबीर साहेब जी हैं | Krishna Janamashmi 

परमात्मा साकार है

आइए जानते हैं कौन है सच्चा परमात्मा  ईसा मसीह परमात्मा के पुत्र थे। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सबके पिता हैं, उत्पत्ति कर्ता हैं। वही असली माता-पिता,भाई बंधु हैं। वह काल की तरह कभी धोखा नहीं देते।पूर्ण परमात्मा जन्म मृत्यु से परे है, वह न तो माँ के गर्भ से जन्म लेता न ही उसकी मृत्यु होती है। ईसा मसीह जैसी पवित्र आत्मा की भी दर्दनाक मृत्यु हुई। फिर आम इंसान का कैसे बचाव हो सकता है। केवल पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही अवविनाशी हैं, मोक्षदायक प्रभु हैं।पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ) से सिद्ध होता है कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टी की रचना की तथा फिर विश्राम किया। हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी। स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है तथा तुम शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा और वो मुझे मार देंगे। इससे सिद्ध है हज़रत ईसा जी ने कोई चमत्कार नहीं किया ये सब पहले से ही निर्धारित था। पूर्ण परमात्मा ही भक्ति की आस्था बनाए रखने के लिए स्वयं प्रकट होता है। पूर्ण परमात्मा ने ही ईसा जी की मृत...

God Kabir Prakat Diwas 2020

A Lahartaara pond in Kashi.  The water of the Ganges river used to bounce above the low track by waves and come in a lake.  Therefore, that lake was named Lahartara.  Big-big lotus flowers were grown in that pond.  Neeru-Neema (was a childless couple) went on a Shukla Poornamasi Vikram Samvat 1455 (AD 1398) of Jyeshtha month to bathe in the Brahma Muhurta on Monday.  There, Neeru - Neema got Kabir divine as infant on lotus flower.

कबीर साहेब जयंती VS कबीर साहेब प्रकट दिवस

कबीर प्रकट दिवस  जयंती तो उसकी मनाई जाती है जिसकी जन्म- मृत्यु होती है, लेकिन "कबीर साहेब" अविनाशी भगवान हैं, जिनकी कभी भी जन्म-मृत्यु नहीं होती। कबीर साहेब ने अपनी वाणियों में स्पष्ट किया है, कि उनका जन्म नहीं होता।  ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।  काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।  माता पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी।  जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।

कबीर परमेश्वर का अद्भुत ज्ञान

अद्भुत ज्ञान  कबीर परमेश्वर ने ही सतलोक के विषय में बताया कि ऊपर एक ऐसा लोक है जहां सर्व सुख है। वहां कोई कष्ट नहीं है। जिसकी गवाही संत गरीबदास जी ने दी है।  गरीब, संखो लहर महर की उपजै, कहर जहां न कोई।  दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।। तीनों देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) की वास्तविक स्थिति से परिचित करवाते हुए परमात्मा कबीर जी ने कहा :-  तिनके सूत है तीनों देवा, आंधर जीव करत हैं सेवा। कबीर परमात्मा का तत्वज्ञान  काल कौन है, कहां रहता है, वह हमें कष्ट क्यों देता है, काल के सभी कार्यों के बारे में परमात्मा कबीर जी ने ही विस्तार से बताया है ।  सतलोक पृथ्वी लोक से कितनी दूरी पर स्थित है और वहां कैसे जाया जा सकता है। यह जानकारी कबीर परमात्मा जी ने ही दी है ।

#कबीरपरमेश्वर_की_लीलाएं

मीरा बाई को शरण में लेना मीरा बाई पहले श्री कृष्ण जी की पूजा करती थी। एक दिन संत रविदास जी तथा परमात्मा कबीर जी का सत्संग सुना तो पता चला कि श्री कृष्ण जी नाशवान हैं। समर्थ अविनाशी परमात्मा अन्य है। संत रविदास जी को गुरू बनाया। फिर अंत में कबीर जी को गुरू बनाया। तब मीरा बाई जी का सत्य भक्ति बीज का बोया गया। गरीब, मीरां बाई पद मिली, सतगुरु पीर कबीर। देह छतां ल्यौ लीन है, पाया नहीं शरीर।। संत गरीबदास जी को शरण में लेना

#कबीरपरमेश्वर_के_चमत्कार

"सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़ना"  परमात्मा कबीर ने अपने भक्त की कटी हुई गर्दन वापिस जोड़ दी थी।  आओ सेउ जीम लो,यह प्रसाद प्रेम।  सिर कटते हैं चोरों के,साधों के नित्य क्षेम।।  ऐसी-2 बहुत लीलाएँ साहेब कबीर (कविरग्नि) ने की हैं जिनसे यह स्वसिद्ध है कि ये ही पूर्ण परमात्मा हैं। सामवेद संख्या नं. 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 162 मंत्र 2 में कहा है कि कविर्देव अपने विधिवत् साधक साथी की आयु बढ़ा देता है।  "काशी का अद्भुत भंडारा"  शेखतकी मुस्लिम पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3 दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी जगह झूठी चिठ्ठी डलवाई थी कि कबीर जी तीन दिन का भंडारा करेंगे, सभी आना। भोजन के बाद एक मोहर, एक दोहर भी देंगे। कबीर साहेब ने तीन दिन का मोहन भंडारा कराया और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हुए।